नई दिल्ली/लखनऊ। युद्ध अपने चर्मोत्कर्ष पर है। युद्धरत दो सेनाओं के मध्य कहीं कोई विभाजन रेखा नहीं, कोई सीमा नहीं और न ही कोई सरहद। कौरव शत्रु दुनिया के हर इलाके में मौजूद हैं और उनसे जी जान से लड़ती स्वास्थ्य पांडव सेना भी दुनिया के चप्पे-चप्पे पर उपस्थित है। शायद विश्व ने ऐसा युद्ध कभी नहीं देखा, संभवतः समय के पुरातन से पुरातन इतिहास में भी ऐसे किसी समर का वर्णन नहीं है और संभवत: किसी स्वप्नदर्शी ने स्वप्न में भी इस परिस्थिति का संकेत चिह्न नहीं पाया। हम आज जो कुछ भी देख रहे हैं, वह अभूतपूर्व है। एक इतिहास बन रहा है और हम सब उस बनते हुये इतिहास के साक्षी हैं। हममें से जो भी संक्रमण के काल रूपी पंजे से बच जायेंगे, वे निश्चित ही आने वाली पीढ़ियों को राजा रानी, दादी और नानियों की कहानी के साथ विश्व के इस सबसे बड़े विनाशक महाभारत की कहानियाँ सुनायेंगे और गर्व से कहेंगे कि बच्चों, एक महाभारत में विश्व की हत्या होते-होते रह गयी क्योंकि हमारे स्वास्थ्य पांडव बिना किसी पक्षपात के, मात्र अपने धर्म बोध के आधार पर अपने-अपने गाँडीव व गदा लेकर मन रूपी कृष्ण के नेतृत्व में मनुष्यता की अकाल मृत्यु के विरुद्ध, जो जहाँ पर उपस्थित थे, वहीं पर इस अार-पार की लड़ाई में जूझ गये।
निश्चित ही, हम आने वाली संतति को यह भी बतायेंगे कि विश्व ने समग्र मानवता का पहला पाठ भी आई सी एन से सीखा जो हर परिस्थिति में अपने वैश्विक धर्म को न केवल चिन्हित ही करती है बल्कि समय के शिलालेख पर उसे अपने कर्म व विश्वास की छेनी-हथौड़ी से प्रकाशमय शब्दों में निस्वार्थ भाव से यूँ उकेरती है कि वे तूफ़ान में रास्ता भूली कश्ती को भी दिशा बोध हो जाता है।
आई सी एन मीडिया का जन्म दूसरे मीडिया समूहों की तरह मात्र सामाजिक विषमताओं का रंगीन चित्रण करने व व्यवस्था से तथाकथित जनता की ओर से सनसनीखेज सवाल पूछने व ‘ब्रेकिंग न्यूज़’ का डंका पीटने के लिये ही नहीं किया गया बल्कि स्वयं सतह पर उतर कर समाज के कंधे से कंधा मिला कर अव्यवस्था को जड़ से उखाड़ फेंकने की दृष्टि से हुआ इसलिये यह ‘सूचनाओं का मीडिया’ होते हुये अवरोध के शैवाल, खर व पतवार को साफ़ कर विकास के लिये उन्मुक्त मार्ग उपलब्ध कराने का माध्यम अर्थात ‘मीडियम’ भी है। अपने नवीनतम संस्करण में ‘आई सी एन क्लब’ को स्थापित कर समाज के हर मार्ग को एक ऐसे चौराहे नहीं बल्कि ‘बहुराहे’ से जोड़ दिया जहाँ समाज के प्रति अतिसंवेदनशील एवं प्रत्येक क्षेत्र में सक्षम विशेषज्ञों के दल अपनी पूर्ण निष्ठा व समर्पण के साथ अव्यवस्था के फिसलन भरे कीचड़ में भी मजबूती के साथ पाँव जमाये विषमता के तिलिस्म को तोड़ कर व्यवस्थित समाज की नवसंरचना के यज्ञ में अपनी सुगंधित आहुति दे रहे हैं और जो यह सिद्ध करते हैं कि वे समाज के समग्र चित्र में केवल दोषों को चिन्हित कर उनकी आलोचना भर नहीं करते बल्कि वे स्वयं तूलिका अपने हाथों में लेकर उसमें यथोचित सुधार करने की अपनी भूमिका का निर्वाह करते हैं और इसीलिये आई सी एन केवल मीडिया नहीं बल्कि उससे कहीं ऊपर स्थित हो एक ‘विश्वव्यापी सामाजिक सुधार आंदोलन’ भी बन जाता है।
अपने ‘रूरल इंटरप्रिन्यूरशिप’ पर भारत में तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर थाईलैंड व वियतनाम में अत्यंत सफल वेबिनार व वेबशाप आयोजित करने के बाद आई सी एन क्लब ने ‘संगीत मात्र मनोरंजन नहीं बल्कि प्रभावशाली महत्वपूर्ण चिकित्सकीय थेरैपी है’ का मंत्र देते हुये वैश्विक मंच पर वेबिनार व वेबशाप पद्धति से आयोजित कर कोरोना की आग में झुलसे विश्व को शीतल मरहम प्रदान किया।
दिनांक 30.08.2020 को आई सी एन क्लब ने अपने ‘हेल्थ व मेडिकल’ विभाग के माध्यम से कोरोना के विरुद्ध अपने प्राणों की भी चिंता न कर जूझते हुये ‘हेल्थ सोल्जर्स’ की पराक्रम गाथा को वैश्विक मंच पर अंकित किया। ये दृश्य वैश्विक मानवता के सर्वनाश के षड्यंत्र के विरुद्ध हर विश्व नागरिक के युद्ध के हैं जिनका सफलतापूर्वक प्रतिनिधित्व ये ‘हेल्थ सोल्जर्स’ इस एकीकृत अंतर्राष्ट्रीय भावना से कर रहे हैं कि मानवता और मनुष्यता को अकाल मृत्यु से बचाया जा सके।
कोरोना संक्रमण की वैश्विक आपदा के विरुद्ध आई सी एन अपने हेल्थ सोल्जर्स के माध्यम से मानवता के संरक्षण के प्रति प्रथम दिन से ही पूरी गंभीरता से अपने मिशन में युक्त है और इस अभियान में जिस एकजुटता का परिचय दिया है, वह रेखांकित किये जाने योग्य है।
आई सी एन के स्वास्थ्य मंच से भारतीय परिवेश में स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकता एवं उपलब्धता के मध्य गंभीर अंतराल पर चिंता व्यक्त की गयी। भारतीय स्वास्थ्य सिस्टम की न केवल नींव ही कमज़ोर हो चुकी है बल्कि इसकी दीवारें भी दरकने लगी हैं और यह बात इस वैश्विक संक्रमण काल में और भी स्पष्ट होकर सतह पर उभर आई है। यह समुचित समय है जब विकास की राह पर आगे बढ़ने को आतुर देश को अपने स्वास्थ्य तंत्र का पुनर्विलोकन करना चाहिये। आई सी एन देश के पुनर्निर्माण में मानवता के हित में अपने कदम मजबूती से जमाये खड़ा है। परिस्थितियों के सम्यक आंकलन के पश्चात आई सी एन स्वास्थ्य क्लब के माध्यम से स्वास्थ्य संबंधी भविष्यकालीन दबाव की संभावनाओं के समुचित निराकरण व स्वास्थ्य सोल्जर्स में अपने व्यवसाय व कैरियर्स के प्रति विश्वास को बढ़ाने हेतु भारतीय स्वास्थ्य तंत्र में आमूलचूल परिवर्तन की बात करते हुये नवीन व्यवस्था तंत्र की आवश्यकता व उक्त तंत्र में निम्न बिंदुओं के समावेशन की वकालत की –
1.स्वास्थ्य क्षेत्र में चिकित्सकों व स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा भयमुक्त होकर अपने कर्तव्य निर्वहन के लिये उनकी सहायता के लिये ‘हेल्थ पुलिस’ की व्यवस्था होनी चाहिए जिसकी रखरखाव व व्यवस्था भारतीय स्वास्थ्य सेवा के अपने कैडर के द्वारा ही किया जाना चाहिए ।
2.ब्यूरोक्रेसी की अनावश्यक दखलंदाज़ी को समाप्त करना चाहिए ।
3.भारतीय एडमिनिस्ट्रेशन सर्विसेज़ की भाँति स्वास्थ्य तंत्र की स्वायत्तता को प्रमुखता देते हुये ‘भारतीय मेडिकल सर्विसेज़’ (IMS) की संरचना करनी चाहिये जिसमें मेडिकल डिग्रियों के आधार पर चयन प्रक्रिया हो।
4.स्वास्थ्य संबंधी अपराधों की सुनवाई व न्यायिक निराकरण हेतु ‘स्वास्थ्य न्याय अधिकरण’ की स्थापना की जानी चाहिए जिसमें प्रभावी न्याय के लिये मेडिको लीगल अधिकारियों की नियुक्ति की जाये।
5.केंद्रीय व राज्य स्तर के वार्षिक बजट में स्वास्थ्य के मद में कम से कम पाँच प्रतिशत की बढ़त की जानी चाहिए ।
6.स्वास्थ्य व्यवसाय की स्वायत्तता को स्थापित करते हुये चिकित्सकों के निजी प्रैक्टिस को स्वीकृति प्रदान करते हुये उससे संबंधित नियमावली का निर्माण कर उस पर रेग्यूलेटरी अधिकारिता सी एम ओ के स्तर से समाप्त कर ‘स्वास्थ्य न्याय अधिकरण’ के स्तर से की जानी चाहिए।
7.किसी भी चिकित्सक के विरुद्ध किसी तथाकथित स्वास्थ्य संबंधी अपराध के संबंध में MCI जैसी संस्था के पूर्व अनुमोदन के बिना जनपद के सी एम ओ एवं डी एम द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जानी चाहिए ।
8.शासकीय स्तर पर जनपद में सी एम ओ द्वारा ‘स्वास्थ्य इंटरप्रिन्यूरशिप’ को हर क्षेत्र में यथोचित बढ़ावा देना चाहिए ताकि स्वास्थ्य क्षेत्र में न केवल गुणवत्ता का विकास हो बल्कि रोजगार के क्षेत्र में भी नये अवसर सृजित हो सकें। नये चिकित्सकों के लिये प्रैक्टिस के नियम सरल व प्रैक्टिकल होने चाहिए ताकि उन्हें अपने व्यवसाय को स्थापित करने व सामाजिक सेवा के साथ अपनी जीविकोपार्जन के प्रभावशाली अवसर उपलब्ध हो सकें।
9.स्वास्थ्य सेवाओं को ‘अति आवश्यक जनता सेवा’ (Essential Public Services) का स्तर प्रदान करते हुये ‘स्माल हेल्थकेयर फ़ैसीलिटी’ को विशुद्ध व्यावसायिक सेवा क्षेत्र से बाहर करते हुये आवासीय क्षेत्रों में भी उनके संचालन की अनुमति प्रदान की जानी चाहिए ।
10..प्रस्तावित ‘क्लीनिकल इस्टेबलिशमेंट ऐक्ट’ को ‘इंडियन मेडिकल एसोसिएशन’ व ‘इंडियन नर्सिंग होम ऐसोसिएशन’ से परामर्श के पश्चात ही लागू किया जाना चाहिए ।
11.जनपद में सी एम ओ स्तर पर ‘निजी हेल्थ केयर फैसीलिटी’ के पंजीकरण की प्रक्रिया का सरलीकरण होना चाहिए।
12.कोरोना जैसी महामारी से युक्तियुक्त ढंग से निपटने के लिये राष्ट्रीय, प्रादेशिक व जनपदीय स्तर पर चिकित्सकों की परामर्शदात्री समिति का गठन किया जाना चाहिये।
आई सी एन के चीफ़ एडवाइज़र प्रो० के.वी.नागराज, सीनियर एडवाइज़र/सीनियर एडीटर राकेश लोहुमी, एडवाइज़र/चीफ़ कंसल्टिंग एडिटर प्रो० प्रदीप माथुर व ग्रुप एडिटर विजय वर्मा युक्त शीर्ष ऐडवाज़री पंक्ति के संरक्षण मे इस वैश्विक स्वास्थ्य अभियान का नेतृत्व डॉ पी.के.गुप्ता व डॉ उपशम गोयल द्वारा किया गया। इस अभूतपूर्व मंच पर आई सी एन से संबद्ध डॉ ए एम खान, डॉ एच. के. अग्रवाल, प्रोफेसर जे डी रावत, डॉ रमा श्रीवास्तव, डॉ रुखसाना खान, प्रोफेसर आर ए एस कुशवाहा, डॉ समायुग भौमिक, डॉ वैभव खन्ना, डॉ अनूप अग्रवाल, प्रोफेसर संदीप साहू, डॉ असद अब्बास, डॉ प्रतिपाल सिंह, डॉ मनोज गोविला, डॉ विवेक कुमार, प्रोफेसर अलीम सिद्दीकी, डॉ वारिजा सेठ, डॉ पूजा दीवान, प्रोफेसर विवेक गोविला, डॉ विक्रम आहूजा, डॉ मुजीबुर रहमान, प्रोफेसरअनुराग यादव, डॉ वासु, डॉ अमय त्रिपाठी, डॉ प्रांजल अग्रवाल, डॉ शाजिया इसरार, डॉ शक्ति भूषण चंद आदि ने भागीदारी की।
आई सी एन के सीनियर कंसल्टिंग एडिटर डॉ. भोला नाथ मिश्रा, मैनेजिंग एडीटर डॉ सुधांशु सिंह, सीनियर एक्जीक्यूटिव एडीटर तरुण प्रकाश श्रीवास्तव, एडीटर इन चीफ़ डॉ शाह अयाज़ सिद्दीकी, एडीटर (इंटरनेशनल) राजीव सक्सेना, एडीटर बरनाली बोस, एडीटर एम. एस. मजूमदार, एडीटर मोहम्मद ज़ैद, एडीटर जी.पी.सिन्हा, एडीटर सी.पी़ सिंह, एडीटर डॉ अनिरुद्ध वर्मा, एक्जीक्यूटिव एडीटर डॉ शाह नवाज़ सिद्दीकी एवं एक्जीक्यूटिव एडीटर सुशांत कुमार सिंह ने आई सी एन के इस अद्भुत इवेंट पर हर्ष व्यक्त करते हुये समवेत् स्वर में कहा कि मानवता का संरक्षण व उत्थान हमारा सर्वोच्च मिशन है और सारा विश्व हमारा अपना ही परिवार है।
इस अंतर्राष्ट्रीय इवेंट का उद्देश्य कोरोना जैसी किसी भी वैश्विक आपदा को यह संदेश देना है कि मनुष्य सृष्टि की सर्वश्रेष्ठ रचना है और ईश्वर की महान् कृपा से हम सदैव मानवता के हित में प्रत्येक युद्ध जीतेंगे। कोई भी आपदा हमें कुछ समय के लिये पीछे तो अवश्य धकेल सकती है किंतु हमें पराजित कदापि नहीं कर सकती। हम दिव्य हैं, हम अजेय हैं।